Friday, April 19, 2024
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पेश नहीं हुए रामपाल, खुद को बताया बीमार

चंडीगढ़। विवादास्पद संत रामपाल अवमानना मामले में आज पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष पेश नहीं हुए। उनके वकील ने उन्हें ‘‘बीमार’’ बताया तथा उनकी पेशी के लिए और समय मांगा। उच्च न्यायालय ने रामपाल की पेशी के लिए आज की समयसीमा दी थी। इस बीच, हरियाणा सरकार ने दो न्यायाधीशों वाली पीठ को बताया कि वह अदालत के आदेश का पालन करने के लिए कदम उठा रही है, लेकिन उसे हर कदम सावधानी से उठाना है क्योंकि हिसार जिले के बरवाला स्थित स्वयंभू संत के सतलोक आश्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे मौजूद हैं। अदालत ने आज दोपहर बाद तक के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

उच्च न्यायालय ने रामपाल को पेश करने में विफल रहने पर पिछले सोमवार को हरियाणा सरकार की खिंचाई की थी। रामपाल के खिलाफ अवमानना मामले में हाल में गैर जमानती वारंट जारी किया गया था। अदालत ने उनकी पेशी के लिए आज की समयसीमा दी थी। रामपाल के वकील एसके गर्ग ने न्यायमूर्ति एम जयपाल और न्यायमूर्ति दर्शन सिंह की पीठ को बताया कि उनका मुवक्किल ‘‘बीमार’’ है और बरवाला से यहां आने की स्थिति में नहीं है। वकील ने पीठ से कहा, ‘‘वह अस्वस्थ हैं..हम अदालत में पेशी से नहीं बच रहे हैं। विगत में वह पेश होते रहे हैं। हमें कुछ समय दीजिए, जब वह स्वस्थ महसूस करेंगे तो पेश होंगे।’’ राज्य सरकार की ओर से गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक अदालत के समक्ष पेश हुए। महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन ने अदालत को बताया कि राज्य अदालत के आदेश के पालन के लिए कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि बरवाला में सतलोक आश्रम में, जहां रामपाल है, बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे मौजूद हैं, इसलिए पुलिस को प्रत्येक कदम सावधानी से उठाना होगा। अदालत ने वर्ष 2006 के हत्या मामले में रामपाल की जमानत रद्द करने के मुद्दे पर मामले को कल तक के लिए स्थगित कर दिया और बचाव पक्ष के वकील से तब तक जवाब दाखिल करने को कहा।

मामले में अदालत की मदद के लिए नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता अनुपम गुप्ता ने अदालत परिसर के बाहर संवाददाताओं को बताया कि हरियाणा सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने हलफनामा दायर किया और कहा कि रामपाल को तत्काल गिरफ्तार करने से जनहानि हो सकती है और इसलिए सरकार तथा पुलिस तरीके खोजने और किसी जनहानि के बिना अदालत के आदेश को कार्यान्वित करने की कोशिश कर रहे हैं। गुप्ता ने बताया कि उन्होंने हालांकि कहा कि ‘‘अदालत के आदेशों को कार्यान्वित न करने का नतीजा पूर्ण अव्यवस्था, गड़बड़ी और अराजकता के रूप में निकलेगा।’’ हरियाणा के पुलिस महानिदेशक एसएन वशिष्ठ द्वारा अदालत के समक्ष दायर हलफनामे पर गुप्ता ने कहा कि उन्होंने अदालत से कहा कि ‘‘हलफनामे में व्यापक और मूल तथ्य को रोका गया है और इसे उच्च न्यायालय से छिपाया गया है।’’

यह आरोप लगाते हुए कि रामपाल के आश्रम के बाहर तैनात समूचे पुलिस बल और सुरक्षाकर्मियों को रविवार शाम अचानक हटा लिया गया, उन्होंने कहा कि रामपाल को अदालत के समक्ष पेश न कर पाना राज्य के प्राधिकार द्वारा पूरी तरह जिम्मेदारी को त्याग देना है। गुप्ता ने कहा कि यदि सरकार तीन दिन के भीतर रामपाल को उच्च न्यायालय के समक्ष पेश नहीं करती तो शुक्रवार तक अदालत की अवमानना का नोटिस मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को जारी किया जाना चाहिए जिनके पास गृह विभाग है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे मिली जानकारी के अनुसार रविवार को बरवाला में आश्रम में और इसके इर्द गिर्द भारी तादाद में सुरक्षा बल तैनात किए जाने के बाद कल शाम को समूचे पुलिस बल और सुरक्षा बंदोबस्त को अचानक हटा लिया गया।’’ गुप्ता ने कहा, ‘‘रातभर और आज सुबह आश्रम के भीतर या आसपास कोई पुलिस बल नहीं था। मैंने कहा कि राज्य सरकार और हरियाणा के डीजीपी ने इस बात को छिपाया है।’’

गुप्ता ने यह भी कहा कि रामपाल को न पकड़ पाना ‘‘राज्य के प्राधिकार द्वारा पूरी तरह जिम्मेदारी को त्याग देना है। वे रविवार शाम और रात में आगे क्यों नहीं बढ़े और उन्होंने बीती रात बलों को क्यों हटा लिया?’’ उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि ‘‘यह स्पष्ट है कि सिविल और पुलिस नौकरशाही अपने खुद से काम नहीं कर रही हैं और अखबारों की खबरों से पुष्टि होती है कि संचालित सभी सुरक्षा प्रबंध तथा समूची स्थिति पुलिस और सिविल नौकरशाही द्वारा हरियाणा के मुख्यमंत्री के समन्वय, विमर्श और निर्देश के तहत संचालित हो रही है जिनके पास गृह विभाग का प्रभार भी है।’’ गुप्ता ने बताया कि उन्होंने पीठ के समक्ष यह भी कहा कि धारा 12 के तहत आज ही अवमानना का नोटिस खुद ही डीजीपी हरियाणा और गृह सचिव को जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार किसी भी वजह से रामपाल को पकड़ने और उसे अदालत के समक्ष पेश करने में विफल रहती है तो शुक्रवार तक धारा 12 के तहत अवमानना का नोटिस हरियाणा के मुख्यमंत्री को भी जारी किया जाना चाहिए, जिनके पास गृह मंत्रालय का प्रभार है। गुप्ता ने बताया कि जहां तक 2006 के हत्या मामले में रामपाल की जमानत रद्द किए जाने का सवाल है तो अदालत यह स्पष्ट कर चुकी है कि दलीलों पर मंगलवार को सुनवाई होगी। उन्होंने कहा, ‘‘यदि रामपाल अपने वकील के जरिए अपना जवाब दाखिल करना चाहता है तो वह कल तक ऐसा कर सकता है, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया गया कि यदि वह जवाब दाखिल नहीं करता है तब भी दलीलों पर सुनवाई होगी और जमानत रद्द करने के सवाल पर सुनवाई होगी और मंगलवार को फैसला होगा।’’


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