Tuesday, April 23, 2024
Homeप्रदेशपुलिस सेवा के उम्मीदवार हों बेदाग: सुप्रीम कोर्ट

पुलिस सेवा के उम्मीदवार हों बेदाग: सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली।  सु्प्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले किसी भी व्यक्ति को पुलिस में दाखिल नहीं होना चाहिए, भले वह बरी या आरोपमुक्त ही क्यों न हो गया हो। न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘जिन व्यक्तियों से पुलिस की विश्वसनीयता के क्षरण होने की संभावना हो, उन्हें पुलिसबल में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए।” पीठ ने कहा, ‘‘वह बरी या आरोपमुक्त हो गया हो तो भी यह नहीं माना जा सकता कि उसे पूरी तरह दोषमुक्त कर दिया गया है।” न्यायालय ने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति इस श्रेणी में फिट नहीं बैठता। पीठ में न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल अन्य सदस्य भी थे। न्यायालय ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि पुलिस सेवा में भर्ती किया जाने वाला प्रत्याशी पूरी तरह भरोसेमंद हो तथा निष्कपट, बेदाग चरित्र और ईमानदारी वाला व्यक्ति हो।” पीठ ने उच्च न्यायालय के उस आदेश के विरूद्ध मध्य प्रदेश सरकार की अपील स्वीकार कर ली जिसमें उसे परवेज खान नामक एक व्यक्ति को अनुकंपा के आधार पर पुलिस सेवा में नियुक्त करने के मामले पर तीन माह में विचार करने का निर्देश दिया गया था। खान ने अपने पिता सुल्तान खान की मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर पुलिस की नौकरी के लिए आवेदन दिया था। उसके पिता मध्य प्रदेश पुलिस सेवा में थे। पुलिस सत्यापन के दौरान पाया गया कि खान दो आपराधिक मामलों में शामिल था। पहला मामला हमला और आपराधिक धौंसपट्टी का तथा दूसरा मामला अनधिकार किसी के घर में घुसने एवं डकैती करने का था। पहले मामले में खान को बरी कर दिया गया था जबकि दूसरे मामले में उसे आरोपमुक्त कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘बरी होने के बाद भी अदालत के आदेश को सक्षम प्राधिकरण से गुजरना होता है। समझौता या सबूत की कमी पर आधारित फैसला भी उम्मीदवार को अपात्र बना सकता है।” खान को अयोग्य ठहराने वाली पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले में पुलिस अधीक्षक नियुक्ति करने वाला प्राधिकार है और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि खान को गलत तरीके से फंसाया गया। उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश को दरकिनार करते हए शीर्ष अदालत ने कहा, “आपराधिक पृष्ठभूमि के आधार पर प्रतिवादी को भर्ती करने से सक्षम प्राधिकार द्वारा इनकार करने के फैसले में हस्तक्षेप नहीं किया जाए।”


RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments