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दिल्ली सबसे अनुशासनहीन शहर,  हर दिन कटते हैं 20 से 30 हजार चलान

By अपनी पत्रिका

February 22, 2023

नई दिल्ली, 22 फरवरी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यातायात नियमों के उल्लंघन का उदाहरण देते हुए इन्फोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति ने दिल्ली को सबसे अनुशासनहीन शहर का दर्जा दिया है। वैसे ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के आंकड़े बयां करते हैं कि मूर्ति कुछ गलत नहीं कह रहे हैं। आइए आपको आकड़ों से समझाते हैं कि कैसे है दिल्ली अनुशासनहीन-

जनता को सामुदायिक संपत्ति का उपयोग निजी संपत्ति से भी बेहतर ढंग से करना चाहिए। लेकिन ऐसा होता नहीं है। दिल्ली की सड़कों पर लोगों के अनुशासनहीन बर्ताव कोई नई बात नहीं है। दिल्ली को एक ऐसा शहर है, जहां सड़कों पर सबसे ज्यादा अनुशासनहीनता है। दिल्ली में सबसे बड़ी दिक्कत ही यही है कि यहां रोड यूजर्स ट्रैफिक नियमों का सम्मान नहीं करते। यह व्यक्तिगत रूप से और एक समाज के रूप में भी हमारे चरित्र को उजागर करता है। एक बानगी देखिए नए कर्तव्य पथ और इंडिया गेट के बीच सुरक्षित तरीके से आने-जाने के लिए बहुत अच्छे सब-वे बनाए गए हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल करने के बजाय लोग बैरिकेड फांदकर और ट्रैफिक के बीच से सड़क पार करने की कोशिश करते रहते हैं। कनॉट प्लेस के आउटर सर्कल पर लगभग सभी क्रॉसिंग्स पर सब-वे बने हुए हैं, लेकिन इक्का-दुक्का लोगों को छोड़कर बाकी सब चलती गाड़ियों के बीच से ही रोड क्रॉस करते हैं।

लोग कहते हैं कि सब-वे में गंदगी है या लाइट नहीं है, लेकिन जब लोग इस इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल ही नहीं करेंगे, तो उसके रखरखाव पर भी उतना ध्यान नहीं दिया जाएगा। यही हाल सड़क पर गाड़ी चलाने वालों का भी है। इसी वजह से तमाम खुली चौड़ी सड़कों, फ्लाईओवरों, अंडरपास, टनल रोड्स और एलिवेटेड सड़कों के बावजूद रोड बिहेवियर के मामले में दिल्ली हर बार फिसड्डी साबित होती है।

ट्रैफिक पुलिस की माने तो ऐसा नहीं है कि रूल तोड़ने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। दिल्ली की सड़कों पर हर दिन करीब 25-30 हजार चालान कटते हैं। इनमें से करीब 15-20 हजार चालान सड़कों पर तैनात ट्रैफिक पुलिस की टीमें काटती हैं, जबकि हर महीने करीब 3।75 लाख चालान कैमरों के जरिए काटे जाते हैं, जो सिर्फ ओवर स्पीडिंग, स्टॉप लाइन/जेब्रा कॉसिंग वॉयलेशन और रेडलाइट जंप करने वालों के होते हैं। इसी तरह अवैध पार्किंग के भी रोज 7-8 हजार चालान कटते हैं। इसके बावजूद लोग ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते। केवल एनफोर्समेंट के जरिए स्थिति को नहीं सुधारा जा सकता। इसके लिए लोगों को खुद भी अपने बर्ताव में सुधार लाना होगा।

दिल्ली में एक बड़ी चुनौती यह भी है कि यहां ढाई करोड़ से ज्यादा आबादी है और डेढ़ करोड़ से ज्यादा गाड़ियां रजिस्टर्ड हैं। एनसीआर व दूसरे राज्यों से आने-जाने वाली गाड़ियां अलग हैं। जितनी तेजी से आबादी और गाड़ियों की तादाद बढ़ी है, उतनी तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलप नहीं हुआ है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी उतना मजबूत नहीं है। यह भी सड़कों पर कंजेशन का एक बड़ा कारण है।