‘छोटे भाई ने दी है गाली, मुझे कोई शिकायत नहीं’

 

इससे पहले योगेंद्र बैठक में पार्टी के कई सदस्यों को शामिल न होने देने के विरोध में बाहर धरने पर बैठे थे, लेकिन बाद में उन्होंने धरना खत्म कर दिया है. योगेंद्र यादव के साथ धक्का-मुक्की भी हुई थी. इस बैठक में योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी से निकालने पर फैसला हो सकता है. इस बैठक की अध्यक्षता कुमार विश्वास कर रहे हैं. बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग भी होगी.

सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल वोटिंग से दूर रहेंगे.  AAP के 11 विधायकों के पास वोटिंग का अधिकार है. मीटिंग की लोकेशन के आसपास पुलिस ने किसी भी अनहोनी की आशंका को देखते हुए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं. बैठक शुरू होने से पहले ही बाहर हंगामा शुरू हो गया था. ‘गद्दारों को बाहर निकालो’ के नारे लगाए जा रहे हैं. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में यादव और भूषण को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बर्खास्त करने और पार्टी से निष्काषित करने का प्रस्ताव रखा जाएगा.

AAP सूत्रों का कहना है कि पार्टी के ज्यादातर नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को बाहर का रास्ता दिखाकर यह संदेश देना चाहते हैं कि पार्टी में बगावत बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी, चाहे वो कितने ही बड़े कद का नेता क्यों न हो. अरविंद केजरीवाल के समर्थक नेताओं का आरोप है कि योगेंद्र और प्रशांत बार-बार पार्टी के संयोजक के खिलाफ साजिश रच रहे थे. इसके अलावा दिल्ली चुनाव में पार्टी की हार सुनिश्चित करने का काम कर रहे थे. ये दोनों ही गतिविधियां पार्टी विरोधी हैं. ऐसे में इन्हें पार्टी से हटाया जाए. बैठक में सबूत के तौर पर कई ईमेल और ऑडियो रिकॉर्डिंग को भी रखा जाएगा. उधर बागियों के गुट की तैयारी भी कम नहीं हैं. सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय परिषद की बैठक के लिए रणनीति बन गई है. योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण केजरीवाल को कड़ी टक्कर देने के मूड से मैदान में उतर रहे हैं. बैठक से पहले दोनों ने पार्टी को चिट्टी लिखकर कई मांगों को सामने रखा.

शुक्रवार को प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने प्रेस कांफ्रेंस करके जिस तरह तरह केजरीवाल और उनके गुट पर हमला बोला, उससे यह साफ हो गया कि केजरीवाल गुट के साथ उनकी सुलह की सभी संभावनाएं खत्म हो चुकी हैं. सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय परिषद के कुल 350 सदस्यों में से 100 सदस्यों का ही समर्थन योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के पास है. साफ हैं आंकड़े केजरीवाल के पक्ष में दिख रहे हैं. लिहाजा दोनों पुराने साथी और पार्टी के संस्थापक सदस्यों का पत्ता साफ हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक प्रबल संभावना है कि दोनों को पार्टी से बाहर निकाल दिया जाए. लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा सवाल ये भी खड़ा हुआ है जिस तरह से दोनों खेमों के बीच खटास सामने आई है तो क्या राष्ट्रीय परिषद की बैठक शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो पाएगी.

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