Saturday, April 20, 2024
Homeदेशकिसान आत्महत्या मामले में केंद्र ने आप की आलोचना की

किसान आत्महत्या मामले में केंद्र ने आप की आलोचना की

नई दिल्ली  दिल्ली में आम आदमी पार्टी की बुधवार की रैली में एक किसान द्वारा आत्महत्या करने के मामले में गृह मंत्री राजनाथ सिंह इस पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि जब वह व्यक्ति ऐसा करने का प्रयास कर रहा था तो वहां एकत्र लोग ताली बजा रहे थे और नारे लगा रहे थे। विपक्ष ने हालांकि, दिल्ली पुलिस को दोषी बताते हुए कहा कि उसने इस घटना को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। लोकसभा में आज यह मामला उठने पर सिंह ने अपने जवाब में बुधवार की घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक’ करार देते हुए कहा कि आप की रैली में एकत्र लोग पेड़ पर चढ़े किसान की ओर देखकर ताली बजा रहे थे और नारे लगा रहे थे। पुलिस ने उन्हें ऐसा न करने का अनुरोध करते हुए कहा कि उससे वह व्यक्ति और उत्तेजित हो सकता है लेकिन भीड़ ने शोर मचाना और ताली बजाना जारी रखा। इस बीच पेड़ पर चढ़े व्यक्ति ने जान दे दी। राजनाथ सिंह ने सदस्यों की चिंताओं पर अपनी बात रखते हुए हालांकि कहा कि ऐसे मामलों में किसी भी सूरत में राजनीति नहीं करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने उन्हें बताया है कि उस व्यक्ति के पेड़ पर चढ़ने के बाद पुलिस ने नियंत्रण कक्ष को तुरंत जानकारी दी और ऊंची सीढ़ी वाले दमकल को बुलाया। उन्होंने कहा, ”ऐसे मामलों में सामान्य तौर पर ऐसे लोगों को बातों में लगाकर रखा जाता है ताकि उनकी सोच को बदला जा सके लेकिन भीड़ तालियां बजा रही थी और नारे लगा रही थी।’’ आप के खिलाफ अपनी बात पर जोर देते हुए राजनाथ ने उस पार्टी के ही एक सांसद की टिप्पणी का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर वह वहां होते तब वह रैली को तत्काल रद्द करा देते। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस की आपराध शाखा से समयबद्ध तरीके से मामले की जांच करने का आदेश दिया गया है। इस सिलसिले में आईपीसी की धारा 306, 186 और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है। संसद में विभिन्न दलों के सदस्यों ने वहां मौजूद पुलिस द्वारा उस व्यक्ति को आत्महत्या करने से रोकने के लिए कुछ नहीं करने की कड़ी आलोचना की। सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने आपत्ति जताते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस किसान की आत्महत्या के मामले में दोषी है और उसी से मामले की जांच कराना उचित नहीं होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि मामले की न्यायिक जांच का आदेश दिया जाए।

किसानों की कर्ज माफी की कांग्रेस की मांग पर गृह मंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि संप्रग के समय कर्ज माफी चुनाव के समय की गई थी, न कि किसी आपदा के समय। उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में उस समय कर्ज माफी के मामले में घोटाले उजागर हुए हैं। उल्लेखनीय है कि 2009 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन संप्रग सरकार ने किसानों के करीब 60 हजार करोड़ रूपये के कर्ज को माफ किया था। नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा किसानों की राहत के लिए उठाये गए कदमों का जिक्र करते हुए राजनाथ ने कहा कि पहले 50 प्रतिशत फसलों के नुकसान पर ही मुआवजे का प्रावधान था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल पहली बार 33 प्रतिशत फसल नुकसान होने पर किसानों को मुआवजा देने की व्यवस्था की बल्कि उसकी राशि भी डेढ़ गुणा बढ़ा दी। राजनाथ ने कहा कि हमें इस तथ्य पर भी विचार करना होगा कि 1951 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि का योगदान 55 प्रतिशत था जो अब केवल 14 प्रतिशत रह गया है जबकि कृषि पर अभी भी करीब 60 प्रतिशत आबादी निर्भर है। उन्होंने कहा कि यह भी एक चिंताजनक तथ्य है कि आज भी 60 प्रतिशत आबादी को खाद्य सुरक्षा पर निर्भर रहना पड़ रहा हैं। गृह मंत्री ने कहा कि इस स्थिति से उबरने के लिए पक्ष-प्रतिपक्ष को आरोप प्रत्यारोप से ऊपर उठकर मिलकर विचार करना होगा। हमें यह कारण जानना होगा कि जाने माने देशों की बनिस्बत हमारे देश में कृषि उत्पादकता आज भी बहुत कम क्यों है। उन्होंने कहा कि वह किसानों को सरकार की ओर से आश्वासन देते हैं कि वह पूरी तरह से किसानों के साथ है और राज्य सरकारें जितनी भी किसानों को राहत देना चाहती हैं, केंद्र सहयोग के लिए तैयार है।

 

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments