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एक साल पहले ही शुरू हो जाता है प्रचारः कुरैशी

By अपनी पत्रिका

December 22, 2014

कोलकाता पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया में धन का दुरुपयोग रोकने के लिए चुनाव से छह महीने पहले ही आयोग के निर्देश लागू हो जाने चाहिएं और इस दौरान चुनाव पूर्व खर्च को भी संज्ञान में लिया जाना चाहिए। कुरैशी ने पिछले हफ्ते यहां अपनी पुस्तक ‘एन अनडॉक्यूमेंटिड वंडर: द मेकिंग ऑफ द ग्रेट इंडियन इलेक्शन’ के विमोचन के दौरान कहा, ‘‘वे (राजनीतिक दल) जानते हैं कि चुनाव आयोग बहुत सख्त है और नगदी के इस्तेमाल पर रोक लगाता है इसलिए वे चुनाव से एक साल पहले ही अपना प्रचार शुरू कर देते हैं और पोस्टरों, बैनरों तथा अन्य प्रचार सामग्री पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिये जाते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब चुनाव शुरू होते हैं तो वे बहुत मासूम हो सकते हैं। वे बहुत कम धन से चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन चुनाव से काफी पहले ही सारा पैसा झोंक दिया जाता है।’’ कुरैशी ने कहा, ‘‘हम इस पर काम कर रहे हैं। हो सकता है कि हम कहेंगे कि चुनाव आयोग को छह महीने पहले अधिकार मिल जाने चाहिएं या इसमें चुनाव पूर्व खर्च भी संज्ञान में लिया जाना चाहिए।’’ पूर्व सीईसी ने कहा कि धन का दुरपयोग एक नयी समस्या है जिससे चुनाव आयोग निपटने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘अपराध हमेशा आदेश लागू होने से पहले होता है और नयी कार्य प्रणाली सामने आती है, जिसे हम समझने की और समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि चूहा बिल्ली का खेल चलता रहेगा और हम समाधान निकालेंगे।’’ चुनाव में पोंजी योजनाओं के घोटालों की किसी तरह की भूमिका के सवाल पर कुरैशी ने चुनाव आयोग द्वारा चुनाव के समय हजारों करोड़ रुपये जब्त किये जाने का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘चुनावों में इस्तेमाल धन देश में सभी तरह के भ्रष्टाचार की मूल वजह है। मैंने अकसर यह बात कही है और अपनी किताब में भी लिखा है।’’ कुरैशी ने कहा, ‘‘अगर आप चुनाव लड़ने में करोड़ों रुपये खर्च करते हैं तो आपको करोड़ों रुपये इकट्ठे करने होंगे। इसके बाद जब आप सत्ता में आते हो तो आप अपने नौकरशाहों से कहते हैं कि मुझे करोड़ों रुपये लौटाने हैं तो कृपया मेरे और अपने लिए कमाई शुरू कर दीजिए। इस तरह से राजनीतिक और नौकरशाही की मिलीभगत शुरू होती है और इसे रोक पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।’’