फिर बोतल से निकला जासूसी कांड का जिन्न, क्या केजरीवाल करवा रहे हैं अपने ही नेताओं और अधिकारियों की जासूसी?

The genie of espionage came out of the bottle again, is Kejriwal getting his own leaders and officials spied on?

पेगासस जासूसी का मामला अब तक सुलझा नहीं है और एक और जासूसी का मामला दिल्ली में तूल पकड़ रहा है। भाजपा ने  दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाया है कि वह उसके नेताओं की जासूसी करा रही है। इसके लिए सरकार के नियंत्रण में एक विशेष यूनिट भी बनाई गई है, जिसके अधिकारियों को केवल भाजपा के नेताओं की जासूसी करने के पीछे लगाया गया है और यह कथित जासूसी यूनिट की स्थापना उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ही एक मंत्रालय के अधीन थी।

पिछले साल पेगासस जासूसी सॉफ़्टवेयर के ज़रिए कई देशों में नेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के कॉल रिकॉर्ड करने की बात सामने आई थी। इसमें भारत का नाम भी शामिल था। केंद्र की सरकार पर आरोप था कि वह विपक्षी पार्टी के नेताओं की जासूसी करवा रही है। इसको लेकर जमकर हंगामा भी हुआ था सड़क से लेकर संसद तक। अब ऐसा ही मामला दिल्ली में भी सामने आया है। दिल्ली भाजपा ने आरोप लगाया है कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार उसके नेताओं की जासूसी करा रही है। इसके लिए सरकार के नियंत्रण में एक विशेष यूनिट बनाई गई है, जिसके अधिकारियों को केवल भाजपा के नेताओं की जासूसी करने के पीछे लगाया गया है। पार्टी ने इसे जनता के पैसे से सरकार की ताकत का अपने राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा दुरुपयोग बताया है। पार्टी इस बारे में औपचारिक शिकायत दर्ज कर उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग करने पर भी विचार कर रही है।

कहा जा रहा है कि इसके बाद इस यूनिट ने भाजपा के लगभग 600 नेताओं के बारे में सूचना एकत्र करने का काम किया। कांग्रेस पार्टी के भी कुछ पूर्व विधायकों-पार्षदों के बारे में सूचना एकत्र की गई। इसका उद्देश्य अपने विरोधियों के खेमे में सरकार के खिलाफ तैयार की जा रही रणनीति पर निगरानी रखना था। आरोप है कि आम आदमी पार्टी ने इसके जरिए कांग्रेस के उन नेताओं पर भी डोरे डाले जो अपनी पार्टी से किन्हीं कारणों से नाराज थे और इसके बाद उनसे संपर्क कर उन्हें आम आदमी पार्टी में आने के लिए लालच दिया गया।

बताया जा रहा है कि इस विशेष जासूसी यूनिट के ही एक अधिकारी ने यूनिट के कार्यों के खिलाफ वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दे दी थी जिसके बाद इसके औपचारिक स्वरूप में बदलाव कर दिया गया। आरोप है कि अब सरकार के विशेष अधिकारी उसकी शह पर गैरकानूनी तरीके से भाजपा नेताओं की जासूसी कर रहे हैं।

दिल्ली भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने अरविंद केजरीवाल सरकार 2015 में अपनी स्थापना से ही अराजकता के साथ काम करती रही है। अब इसके प्रमाण भी सामने आ गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों के प्रति गलत नीयत से काम करती है और उनके दमन में विश्वास करती है। चूंकि, इस कथित जासूसी यूनिट की स्थापना उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ही एक मंत्रालय के अधीन की गई थी, इसकी जांच की आंच सिसोदिया पर भी आ सकती है। यानी शराब घोटाले के बाद इस मामले में भी उनकी परेशानी बढ़ सकती है।  पार्टी ने इसे जनता के पैसे से सरकार की ताकत का अपने राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा दुरुपयोग बताया है। पार्टी इस बारे में औपचारिक शिकायत दर्ज कर उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग करने पर भी विचार कर रही है।

दिल्ली भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों के प्रति गलत नीयत से काम करती है और उनके दमन में विश्वास करती है। इसी उद्देश्य से एक फरवरी 2016 को केजरीवाल सरकार ने एफबीयू (फीडबैक यूनिट) की स्थापना की थी। राजनीतिक विरोधियों, केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, उपराज्यपाल कार्यालय, मीडिया हाउस, प्रमुख व्यापारियों ही नहीं, बल्कि न्यायाधीशों तक पर नज़र रखने के लिए की गई थी। सचदेवा ने कहा कि एफबीयू की स्थापना बिना प्रशासनिक एवं आर्थिक स्वीकृति लिए केवल अपने कैबिनेट की स्वीकृति के आधार पर कर दी गई। इसमें बिहार पुलिस से लाये गये 17 पुलिस एवं अन्य कर्मी रखे गये थे। इनका मुखिया एक सेवानिवृत्त सीआईएसएफ के डीआईजी को बनाया गया था। इस एफबीयू को एक करोड़ रुपये का स्थापना फंड दिया गया और इसको सीक्रेट सर्विस फंड का नाम दिया गया। उन्होंने प्रश्न किया कि आखिर केजरीवाल को किसकी जांच करवानी थी, जिसके लिये गुप्त फंड बनाया गया। इस फंड से करोड़ों का फंड प्राइवेट जांच एजेंसियों को किया गया, साथ ही मुखबिर खड़े करने के लिये भी किया गया।

दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने इस यूनिट की स्थापना पर आपत्ति जाहिर की थी। इस आपत्ति पर सितंबर 2016 में जब अश्वनी कुमार सतर्कता निदेशक बने तो उन्होंने एफबीयू से काम का लेखा जोखा मांगा पर, वह अपने काम की कोई रिपोर्ट नहीं दे पाई। इसी बीच अगस्त 2015 में दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश आ गया कि दिल्ली के सभी मामलों में उपराज्यपाल सर्वोच्च होंगे, तब केजरीवाल सरकार को एफबीयू स्थापना की फाइल तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग को भेजनी पड़ी। उन्होंने सतर्कता विभाग के रहते ऐसी नई संस्था बनाने पर आपत्ति करते हुए न सिर्फ फाइल रिजेक्ट कर दी, बल्कि सीबीआई जांच के भी आदेश दिये।

सरकार बताए कि एसीबी एवं सतर्कता विभाग के होते हुए भी सेवानिवृत्त लोगों को लेकर एफबीयू की स्थापना क्यों की गई? इसका उद्देश्य क्या था? यदि इसका उद्देश्य राजनीतिक विरोधियों पर नज़र रखना था, जैसा सीबीआई रिपोर्ट से भी साफ है की इनकी 60% रिपोर्ट केवल राजनीतिक थीं, तो सरकार ने किन-किन नेताओं की जासूसी कराई? सीबीआई जांच में सामने आया है कि एफबीयू ने केजरीवाल सरकार को लगभग 700 रिपोर्ट दी थी। केजरीवाल बताएं कि इनमें किस रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई की गई?

दिल्ली भाजपा नेता मनोज तिवारी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने जनता की सेवा करने के नाम पर सत्ता पाई थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद वे सरकार की पूरी ताकत केवल अपने विरोधियों को खत्म करने के लिए कर रहे हैं।

भाजपा के इस आरोप के बाद जहां दिल्ली की राजनीति गर्म हो गई है, वहीं, आम आदमी पार्टी इसे बदले की कार्रवाई बता रही है। भाजपा के इशारे पर केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियों ने उसके नेताओं के विरुद्ध 163 मामले दर्ज कराए थे। लेकिन ये सभी मामले विभिन्न अदालतों में निरस्त कर दिये गए क्योंकि किसी भी मामले में एजेंसियों को कोई साक्ष्य नहीं मिला। यह मामला भी दिल्ली सरकार को घेरने का एक षड्यंत्र है।

आरोप है कि इस विशेष यूनिट की स्थापना उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के एक मंत्रालय के अधीन 2016 में ही कर दी गई थी। जिन अधिकारियों की नियुक्ति जनता के हितों के लिए काम करने के लिए की गई है, वे उनका दुरुपयोग कर अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ साजिश करने के लिए कर रहे हैं। शुरूआत में इसे एक वैधानिक संस्था की तरह से काम कराने की बात कही गई थी। इसे सरकार के फीडबैक सिस्टम का अंग बताया गया था, जिसका उद्देश्य सरकार के कार्यों के बारे में जनता की तरफ से प्रतिक्रिया की जमीनी सूचना पाना बताया गया था। लेकिन आरोप है कि इस पूरी यूनिट का इस्तेमाल भाजपा और कांग्रेस के कुछ नेताओं की जासूसी कराने के लिए की गई।

भाजपा का आरोप और केजरीवाल सरकार की सफाई दोनों ही लोगों के सामने पर यहां सवाल यह है कि अगर केजरीवाल से भाजपा के नेताओं की जासूसी करवाई तो इससे जनता का क्या लेना देना। लेकिन इस जासूसी में खर्च हुए पैसों से जनता का सरोकार है और होना भी चाहिए। अगर जासूसी में सच्चाई है तो केजरीवाल को इसकी जवाबदेही लेनी चाहिए।

Comments are closed.

|

Keyword Related


prediksi sgp link slot gacor thailand buku mimpi live draw sgp https://assembly.p1.gov.np/book/livehk.php/ buku mimpi http://web.ecologia.unam.mx/calendario/btr.php/ togel macau http://bit.ly/3m4e0MT Situs Judi Togel Terpercaya dan Terbesar Deposit Via Dana live draw taiwan situs togel terpercaya Situs Togel Terpercaya Situs Togel Terpercaya slot gar maxwin Situs Togel Terpercaya Situs Togel Terpercaya Slot server luar slot server luar2 slot server luar3 slot depo 5k togel online terpercaya bandar togel tepercaya Situs Toto buku mimpi